"क्या बात है निशा....
आज आपने मुझे गुड-मार्निंग काल नहीं किया.....
एवरीथिंग इज ऑलराइट....
निशा के कॉल का इंतजार करते-करते जब सुबह से दोपहर होने को आई तो नीरज को रहा नहीं गया क्योंकि कॉल करना तो दूर की बात मैसेंजर-व्हाट्सएप कही भी निशा रात के बाद से अब तक ऑनलाइन भी नही आई थी...
"जी ऐसी कोई बात नहीं है,..सब ठीक है....
निशा ने कुछ शब्दों में ही नीरज के अधीर होते सवालों का जवाब दे बहुत कुछ छुपा लिया था।
"नही.... कुछ तो बात है,..
आप मुझसे कुछ छुपा रही हो....
लगभग चार महीनों से अब तक ऐसी कोई सुबह नही हुई थी जब नीरज की नींद निशा के गुड मॉर्निंग कॉल से पहले खुली हो....
चार महीने पहले ही उन दोनों की सगाई के बाद से ही यह सिलसिला जारी था.....
आखिर एक दूसरे को जानने-समझने के लिए मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा कब काम आती....
"मैं क्या छुपा सकती हूं आपसे......
हर बात तो आपको पता ही होती है....
निशा ने कुछ नहीं कहते हुए भी अपनी तरफ से शायद सब कुछ कह दिया था ...
"हमें सर्वज्ञाता समझने के लिए शुक्रिया....,.
किंतु वास्तव में हमें आपकी उदासी का कारण ज्ञात नहीं,...आप हमारी सहायता करें देवी....
नीरज हमेशा की तरह अपने चिर परिचित अंदाज में अपनी मंगेतर निशा को हंसाने का भरसक प्रयास कर रहा था....
"नीरज जी अगर आप गंभीरता से मेरी बात समझने की कोशिश करेंगे तभी हम आपको कुछ बता पाएंगे।"
नीरज के बिंदास हंसी-मजाक और मान-मनौवल वाले अंदाज को पसंद करने वाली निशा आज गंभीर थी।
नीरज भी कुछ देर के लिए मानो चुप सा हो गया था।
"हां बताइए निशा।"
नीरज की गंभीर आवाज से चुप्पी भंग हुई थी।
"हो सकता है नीरज जी,..यह हमारी आखिरी बातचीत हो।"
"अचानक ऐसा क्या हो गया है निशा?..आप मुझे खुलकर क्यों नहीं बता रही हैं?..जो कुछ भी वहां हुआ है आप प्लीज मुझे बताइए।"
नीरज मानो अचानक आसमान से जमीन पर गिरा था।
"कल रात पापा जी ने बाऊजी को कॉल किया था।"
निशा मन ही मन उस घर को अपना मान चुकी थी इसलिए उसकी जुबान पर "आपके पापा जी" नहीं आ सका था।
"हम्म!"
नीरज ने निशा को बीच में टोकना उचित नहीं समझा था अत: बस हुंकारी भर आगे की बात सुनने की प्रतीक्षा में था।
"पापा जी ने बाऊजी से यहां के पॉश इलाके में एक फ्लैट की मांग की है।"
इतना कहते-कहते निशा का गला भर आया था।
"पापा ने अचानक ऐसी डिमांड क्यों की?"
नीरज निशा की बात सुन दंग था।
"क्योंकि अब आप क्लर्क नहीं रहे,..एक जिले के डीएम हो गए हैं।"
निशा ने नीरज के पिता द्वारा उसके बीऊजी को फोन कर UPSC के CSE के परिणाम मे नीरज की सफलता और उनके स्वयं की चपलता को स्पष्ट कर दिया था।
"आपको यह खुशखबरी सुनाने के बाद मैं खुद तो यह भूल ही गया था!.. याद दिलाने के लिए धन्यवाद देवी।"
अब तक गंभीरता से निशा की बातें सुनता नीरज फिर से अपने पुराने अंदाज में आ गया था।
"नीरज जी आपको यह सब मजाक लगता है ना!..आपको नहीं पता है यहां घर में सब कितना परेशान है,..बाबू जी ने तो यहां तक कह दिया है कि उन्हें यह रिश्ता करना ही नहीं है,..अभी से यह हाल है तो आगे क्या होगा?"
दिल ही दिल में नीरज के साथ भविष्य के सपने सजाते निशा के आंखों के अश्क गालों पर बहकर उसके स्वयं के हाथों से पोंछे जा रहे थे।
"निशा जी कल तक आपको ब्लाक के एक साधारण कलर्क पर भरोसा था लेकिन क्या आज एक जिले के डीएम पर भरोसा नहीं रहा?..या फिर अब तक आप मुझे एक इंसान के तौर पर समझ नहीं पाई।"
निशा ने महसूस किया हमेशा हंसने-हंसाने की बातें करने वाले नीरज ने आज पहली बार उससे गंभीर होकर कुछ कहा था।
"भरोसे की बात नहीं है नीरज जी,.. यहां दहेज, बढ़ती लालच और भविष्य में आने वाली परिस्थितियों की बात है।"
वनस्पति विज्ञान में प्रथम श्रेणी से परास्नातक निशा ने नीरज पर भरोसे के आगे अपने स्वाभिमान से समझौता करना मुनासिब नहीं समझा था।
"मैं आपकी बात समझता हूं और आपके विचारों की इज्जत भी करता हूं किंतु पापा के इस छोटी सी मांग की वजह से हम अपने रिश्ते पर कोई आंच नहीं आने देंगे।"
"नीरज जी,.. पापा जी की यह छोटी सी मांग कल रात से ही हमारे बाऊजी के लिए पहाड़ जैसी परेशानी का सबब बना हुआ है।"
"निशा जी मैं बऊजी से बात कर लूंगा,..उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,..मैं हूं ना सारा इंतजाम कर दूंगा।"
नीरज ने निशा को चिंता मुक्त करना चाहा था।
"नहीं नीरज जी अगर बात ही करनी है तो पापा जी से बात कीजिए बाऊजी से इंतजाम की बात कर उन्हें शर्मिंदा मत कीजिए।"
"निशा जी,..पापा पुराने ख्यालात के हैं वह मेरी बात नहीं मानेंगे, लेकिन.."
"लेकिन नीरज जी अगर आज इंतजाम कहीं से कर भी दिया जाए फिर भी भविष्य में जाने कब तक और क्या-क्या इंतजाम करना पड़े,.कम दहेज लाने का ताना तो बेटियां बर्दाश्त कर भी लेती हैं लेकिन भेद खुलने पर इंतजाम का ताना ना मैं सह पाऊंगी और ना ही मेरे बाऊजी।"
निशा अपनी बात खत्म कर चुप हो चुकी थी।
दूसरी तरफ सन्नाटा फैला था,..नीरज सोच में डूबा था क्योंकि उसके पास अपने पापा से बात करने के अलावा फिलहाल कोई और "इंतजाम " नहीं था....
एक सुंदर रचना....
#दीप..🙏🙏🙏
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