तुम्हे कुछ दिन से देख रहा हूं...
यहां रोज गोलगप्पे की रेहड़ी लगाते हो ....
स्कूल क्यों नहीं जाते....
शर्मा जी ने सड़क किनारे रेहड़ी लगाए 15-16 साल के लड़के से कहा...
"बस अंकल जी...अपनी हालत कुछ ऐसी ही है ...
" मै एक संस्था चलाता हूं...
यहा गरीब बच्चों के लिए कक्षाएं चलाई जाती है...
तुम भी आ सकते हो....
" अंकल जी....फिर गोलगप्पे कौन बेचेगा...
घर कैसे चलेगा....
क्यो.... तुम्हारे माता -पिता नही है क्या....
"है.... अंकल जी ....भाई है बहन भी है...
पर घर की जिम्मेदारी मुझ पर है
वैसे भी पढ़ -लिख कर क्या करूँगा
पढ़ कर तुम बड़े आदमी बन सकते हो....
लड़का ज़ोर से हंसा -अंकल जी ...
बड़ा आदमी ....वो सूट बूट वाला
जो गरीब मां -बाप से किनारा कर लेता है ....
सुनिए अंकल जी -- मेरे बापू चपरासी थे...
मामूली तनख्वाह थी हम दो भाई ,एक बहन है...
बापू ने बड़ी मेहनत से भाई ,बहन को पढ़ाया...कर्ज़ा लिया ...
फिर भाई अफसर बन गया...कालेज में अपनी पसंद की लडकी से शादी की और पत्नी को साथ ले विदेश निकल गया...
पलट कर देखा तक नही....
बहन बड़े स्कूल की प्रिंसिपल है ।
उसे व उसके पति को...
चपरासी पिता ...
अनपढ़ मां ..
और सिर्फ छठी पास भाई धब्बा लगते है...
कभी मिलने नही आती ...
"उनकी बड़ी शिक्षा पर हम पैबंद से लगते है....
" अब बापू का काम नहीं रहा ...
मां बीमार रहती है...
मैं घर चलाउ या पढूं ....
"वैसे भी अंकल जी , ...
आदमी सोच से बड़ा होता है ,डिग्रियों से नहीं !"
" मैं तो एक ही पढ़ाई जानता हूँ --
जिन माता -पिता ने कष्ट सह कर पाला...
उन्हें सुख दे सकूं तभी खुद को बड़ा आदमी मानूँगा...
भले ही कितने पथरीले रास्तों के धूल ,कंकर सहने पड़े....
"चलिए अंकल जी ...
गोलगप्पे खाइये....
कुछ कमाई तो हो ....
एक निशब्द कर देने वाली रचना...
#दीप..🙏🙏🙏🙏
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