निशि को हर त्यौहार पर अनाथ बच्चों को कुछ ना कुछ लाकर देना अच्छा लगता था. खास कर दिवाली पर. निशि और दिनेश का एक बेटा था आरव. आरव दस साल का हो गया था निशि को एक बेटी की भी चाह थीं. पर भगवान ने नही दी . निशि इसी गम को भुलाने अनाथ आश्रम जाती थीं. इस बार भी दिवाली पर वो सबके लिये तोहफे, पटाखे, मिठाई सब लेकर आश्रम गयी थीं. वहा सबके बीच एक प्यारी सी बच्ची उसके मन को भा गई. उसने दिनेश से बात की और उसे गोद ले लिया. उसका नाम रखा दिशा. 
आज दिशा 23 साल की हो गयी थीं. बहुत ही प्यारी सबकी लाडली, सबका ध्यान रखने वाली सर्व गुण संपन्न थीं वो.
निशि को दिनेश कब से कह रहे थे की दिशा को एक बार बता दो. पर निशि को डर लगता था की कही दिशा उसे छोड़ ना दे. पर इस बार दिनेश के बहुत कहने पर उसने निश्चित किया था की दिवाली के बाद वो दिशा से बात करेगी.
दिवाली की सब तयारी हो गयी थीं. दिवाली के दिन दिशा सुबह सुबह त्यार होकर जाने लगी. निशि ने कहा बेटा कहा जा रही हो. दिशा बोली माँ आपके लिये सरप्राइज तेयार करने जा रही हुँ. निशि मुस्कुरा दी.
शाम होने तक दिशा नही आयी तो निशि को चिंता होने लगी थीं, उसने दिशा को फ़ोन लगाया तो उसने उठाया नही. थोड़ी देर मे दिशा का दिनेश के पास फ़ोन आया, उसने दिनेश को निशि और आरव को लेकर एक जगह आने को कहा. 
जब सब पहुचे तो निशि के आश्चर्य का ठिकाना ही नही था. ये वही अनाथाश्रम था जहा से दिशा को गोद लिया था. बहुत डर गयी. पता नही क्या होगा. डरती सहमति जब वो अंदर गयी तो बड़े से बोर्ड पर उसकी, निशि की फोटो लगी थीं जिस पर लिखा था.. थैंक्स माँ..
निशि और सबकी आँखों मे आंसू थे. शायद ख़ुशी के. निशि ने दिशा को गले लगा लिया. दिशा ने कहा थैंक्स माँ. मुझे इतना अच्छा परिवार देने के लिये. माँ पापा भाई का प्यार देने के लिये. आपका ये अहसान मै कभी नही भूलूंगी. आपने मुझे नई जिंदगी दी है.
आपकी ही तरह मैंने भी इस आश्रम की सभी बेटियों की पढ़ाई का खर्चा उठाने का निश्चित किया है माँ. खुश है ना आप केसा लगा आपको सरप्राइज.
निशि ख़ुशी और आश्चर्य दोनों भावनाओं से इतनी ओत प्रोत हो गयी थीं की शब्द ही नही थे उसके पास बोलने क्व लिये. बस इतना बोल पायी थैंक्स बेटा. मुझे गर्व है मेरी परवरिश पर..
एक सुन्दर रचना...
#दीप...🙏🙏🙏