"रसोई में बर्तनों की खटर-पटर से  सुधा की नींद खुली थी
"लगता है बाई आ गई है....
वह अलसाई सी अधखुली आंखें लिए नींद में ही बड़बड़ाई थी...
"लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ था तभी से तो बाई आ ही नहीं रही है,....अनलॉक मे भी मोहन ने बच्चों की और मेरी सुरक्षा के लिए उसे साफ मना कर दिया था ...
लेकिन रसोई के बढ़े हुए कामों और डेढ़ साल की नन्ही सी आराध्या को संभालने में मोहन की ओर से कोई खास मदद ना मिलने की वजह से ही तो रात में उनकी आपस में बहस हुई थी....
यह याद आते ही सुधा बिस्तर से हड़बड़ा कर उठने को हुई थी....
"गुड मॉर्निंग....
मोहन चाय की ट्रे लिए कमरे में दाखिल हुआ ... 
उसने ट्रे बगल में रख सुधा को गले लगा उसके माथे को चूमा ....
सुधा आश्चर्य मे थी...
इस तरह "बेवजह" एक-दूसरे से प्रेम जताए तो उन्हे एक अरसा हो गया था
वह कुछ समझ नहीं पा रही थी, क्योंकि यह रात वाला मोहन तो कहीं से भी नहीं लग रहा था
हमेशा की तरह पिछली रात भी उसकी पूरी बात सुने बगैर ही वह उसे झिड़क कर तकिया उठा हॉल में सोने चला गया था...
सुधा भी गुस्से और अवसाद से भर कर बेडरूम का दरवाजा बंद कर सोए हुए अपने बच्चे के बगल में लेट गई थी...
मोहन से मिली उपेक्षा की वजह से क्रोध में भर कुछ बहुत बुरा सोच वार्डरोब खोल उसने एक मजबूत टिकाऊ रेशमी दुपट्टा निकाल पंखे से बांधकर फंदा बनाया था.... 
यह सब करने के लिए उसे पंखे को स्विच ऑफ करना पड़ा था...
पंखे की हवा बंद होते ही बच्ची आराध्या अचानक जाग गई थी....
पंखा यूंही छोड़ उसने ए.सी चला बच्चे को सुलाने की कोशिश की थी...
बेटी आराध्या के संग लेटते ही जाने कब नींद आ गई थी उसे पता ही नहीं चला... 
"सुधा.... मुझे माफ कर दो,..आई एम सॉरी...
मोहन दोनों हाथ जोड़ उससे माफी मांग रहा था...
"अरे,....मोहनजी....प्लीज ऐसा मत करो...
आश्चर्य से भरी सुधा ने मोहन का हाथ अपने हाथ में ले लिया था...
"मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ पहुंचाई है और इसका मुझे एहसास तक नहीं था...
मैं तुम्हारा गुनहगार हूं,.. तुम मुझे माफ कर दो प्लीज।"
मोहन भरे गले से बार-बार माफी मांग रहा था...
मोहन का हाथ अपने हाथों में लिए माजरा समझने की कोशिश करती सुधा का ध्यान कमरे में फुल स्पीड में चलते पंखे पर गया था...
उस रेशमी दुपट्टे का ध्यान आते ही सुधा ग्लानि से भर उठी थी... 
वह बेवजह के प्रेम की तलाश में "बेवजह " ही इतना बड़ा कदम उठाने जा रही थी.....
अब सुधा और मोहन एकदूसरे के सीने से लगकर एकदूसरे को चूमते हुए माफी मांग रहे थे...
एक सुंदर रचना...
#दीप...🙏🙏🙏