सुधा की जब से शादी तय हुई है तब से ही गुमसुम से रहने लगी थी....
उसे ना तो रात में नींद आती थी और ना ही भूख लगती थी ....
शादी वह भी करना चाहती थी , वह भी नया जीवन जीना चाहती थी...
किन्तु वो घटना उसे बार बार परेशान भी कर रही थी
उसने अपनी मम्मी पापा से कई बार कहा मम्मी शादी से पहले मे मोहन को सब कुछ बताना चाहती हूँ...
किन्तु मम्मी पापा कभी डांट देते ....
तो कभी समझाते - बेटा एक बार शादी हो जाने दो सब ठीक हो जाएगा ....
जो गुजर गया उसे मत याद करो और फिर कभी भी वो बात अपने जबान पर लाना भी मत....
वह भी कभी सोचती बता दूँ कभी सोचती नही मेरी बात सुनकर कभी रिश्ता टूट गया तो ....
अंतर्द्वंद्व चल रहा था उसके मन मे.....
वह अपने सपने टूटने नही देना चाहती थी फिर भी उसके मन का एक कोना था जो उसे कचोट रहा था वह अपने जीवन साथी के साथ आगे का जीवन ईमानदारी से शुरू करना चाहता था....
शादी की तैयारी भी कर रही थी ....पर कभी मन खुश रहता कभी उदास हो जाती थी...
उस घटना को वह दिमाग से निकालना चाहती थी , और वो दिन भी आ गया जब वह अपने मम्मी पापा का घर छोड़ पिया के घर आ गई.....
अपनी सेज पर अकेली बैठी थी दिल धक धक कर रहा था... ...
मोहन कमरे में आया उसने सुधा का हाथ पकड़ा ....
सुधा का अन्तर्द्वन्द्व चरम पर पहुंच गया था उसने मोहन का हाथ धीरे से छुड़ाया और बोली मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ.... मोहन जिसे इस घड़ी का बड़ी बेसब्री से इंतजार था बोला - अरे .....सारी जिंदगी ही कहना सुनना चलता रहेगा पर आज नही....
वह बोली नही मोहनजी.... मैं अपनी शादी की शुरुआत ईमानदारी से करना चाहती हूँ इसलिए जो कह रही हूँ सुनो.....
मैं आपके लायक नही हूँ मैं पवित्र नही हूँ उसकी आँखों से आँसू बहने लगे वह आगे बता रही थी ...
मेरे पापा के दूर के रिश्ते का एक भाई था जो आफिस के काम से अक्सर हमारे घर आता रहता था उस समय मेरी उम्र यही 10 , 11 वर्ष के करीब थी वो मेरे लिए कभी मिठाई कभी खिलौने लाता था कभी मुझे घुमाने ले जाता था मैं भी उनसे हिलमिल गई थी काका जो मेरा लगता था ....
एक बार पापा आफिस गए थे और मम्मी किसी काम से बाहर गई थी मैं अकेली थी वो आया हुआ था उसका काम हो गया था सो घर आ गया और मुझे अकेली देखकर मेरे साथ मस्ती करने लगा मैं भी काका है सोच कर खुश थी उसके मन में क्या था कुछ समझ नही पाई और धीरे से उसने वो सब कर दिया जिससे मुझे अपने आपसे घृणा हो गई ऊपर से हिदायत भी दे दी बेटा ये बात किसी से कहना नही कह कर चला गया....
मम्मी आई मैने मम्मी से सब कुछ बता दिया मम्मी ने पापा को बताया.... पापा ने बाद में फोन पर बहुत डांटा पर बदनामी के डर से दोनों ने ये घटना दबा दी किसी को नही बताई ....
बड़ी मुश्किल से मैं इस घटना को भूल पाई थी पर जबसे शादी तय हुई मुझे फिर वह घटना याद आ गई और मैं आपसे पहले ही यह बात बताना चाहती थी....
पर कह नही पाई...मम्मी पापा की कसम ....कहकर रो पडी...
अब आप मुझे स्वीकार करो या अस्वीकार मैं कोई शिकायत नही करूँगी....
मोहन ने उसका हाथ और भी कस कर पकड़ लिया और बोला - सुधा.... इसमें तुम्हारी कोई गलती नही है और ना ही तुम अपवित्र हुई हो...
अपवित्र तो वो हुआ है जिसने तुम्हारे साथ ये घृणित काम किया है ।
तुम अगर मुझे यह बात नही बताती और मुझे बाद में मालूम पड़ती तो मैं कुछ सोच सकता था किंतु तुमने ईमानदारी से मुझे सब बताकर मेरे दिल और अपना सम्मान बढ़ा लिया है पहले प्यार करना था अब सम्मान करता हूँ....
इतना कहकर मोहन ने सुधा को अपनी बांहों में भर लिया.....
एक सुंदर रचना....
#दीप...🙏🙏🙏🙏
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