आज सुबह से ही मन बड़ा भारी था रो लेती तो शायद थोड़ा सुकून मिल जाता....
पर इतना सौभाग्य कहा की रोने की भी फुर्सत मिल जाए... मन भारी हो तो जिस्म भी अपनी हद छोड़ देता है, तभी पूरा शरीर दर्द कर रहा था .....
कितनी सारी चीज़ें एक साथ ज़िन्दगी मे चल रही थी मां बाबूजी का रूटीन चैकअप डयु था....
बेटा आर्यन इतना ज़िद्दी होता जा रहा था की अब उसकी कंपनी भी ठीक नहीं लगती ....
और बेटी श्वेता सारा सारा दिन फ़ोन पर लगी रहती है उसे अकेले सब चीज़ो को संभालना भारी लग रहा था 
परिवार की कुछ निजी बाते ऐसी होती है, जो आप हर किसी के साथ डिस्कस भी नहीं कर सकते ....

पतिदेव अजय अपने काम मे इतने व्यस्त रहते है की उनसे  सुझाव की उम्मीद तो वो नही रखती ....
पर उसका मन चाहता की वो उनके मज़बूत कंधो पर सर रख कर उन्हे सारी मुश्किलात सुना दे उसके बाद वो खुद ही एक एक करके सारी मुश्किलों के हल ढूंढ लेगी....
मगर आज आरती ने सोच लिया था...  
चाहे जो मर्जी हो जाये, वो आज अजय से उसका कुछ वक्त चुरा ही लेगी ....
इसलिए आरती ने पति अजय के आने से पहले सब कुछ रेडी कर लिया था .... 
आठ बज गए थे, अजय की गाड़ी की रुकने की आवाज सुनते ही उसने दूध वाली गैस जला दी आज वो उसकी मनपसंद कॉफ़ी बनाने वाली थी ....
लेकिन ये क्या घर मे दाखिल होते ही अजय ने अपना बैग एक तरफ फेंक दिया, उसका मूड बड़ा अपसेट लग रहा था....
बहुत गुस्से मे भी था  आरती ने डरते डरते पूछा...
 "कुछ हुआ है क्या जी.... जो इतने गुस्से मे हो...
दबी जुबान मे आरती ने ये भी कह दिया बिज़नेस वाला मूड बिज़नेस मे छोड़ आया करो घर की भी कुछ उलझने होती है जिनमे तुम्हारा साथ चाहिए होता है....
अजय अजीब नज़रो से घूरते हुए आरती से बोला "बिज़नेस है तो घर है..... 
अब तुम्हारी छोटी छोटी प्रोब्लम सुनु या काम करू... 
आरती ने बात ना बढ़ाने के लहज़े से  मिन्नत करते हुए कहा "अच्छा सब छोड़ो, पहले खाना खा लो फिर बात करते है....
मुझे कोई खाना नहीं खाना....और अब परेशान भी मत करना कुछ बोल दूंगा तो फिर सारी रात रोती रहोगी... 
सोने जा रहा हूँ कहते हुए कमरे कर दरवाज़ा जोर से बंद कर दिया .....

आरती डबडबाई आंखों से कॉफ़ी को उबलते हुए देख कर सोच रही थी...
काश...उसके पास भी कोई पंचिंग बैग होता जिसमे वो अपनी सारी उलझनो को पंच करके सुकून पा लेती ...
दोस्तों ये काफी घरों की महिलाओं की व्यथा है एक दोस्त की कुछ बातों ने मुझे विचलित कर दिया था.... उसी के पटापेक्ष पर लिखी एक रचना....
शायद पढकर किसी का मन बदले और वो उस पत्नी को समय दे जोकि उसकी जीवनसंगिनी है एक दोस्त है एक हमसफर साथी है...
धन्यवाद...
#दीप...🙏🙏🙏