आज दीदी फिर चमचमाती गाड़ी से आई थी.... 
उसे देखकर सुधा की आँखे चुधिंया गई... 
अनेको गहनों से लदी दीदी उसे दुनिया की सबसे सौभाग्यशाली दुल्हन लग रही थी... 
शादी को दो साल हो चुके थे मगर जीजाजी अपनी आँखों से उन्हे एक पल के लिए भी दूर नहीं करते थे सबसे मिलवाकर साथ ही वापिस ले जाते थे....

सुधा की पढ़ाई अब खत्म हो चुकी थी उसने मां से कह दिया था कि उसे भी जीजाजी जैसा ही दूल्हा चाहिए...अब यह कोई वस्तु तो थी नही जो मां बाज़ार से खरीदकर ला देती...
जो रिश्ता आता उसे उनके सामने तुच्छ लगता....
मोहन कालेज से ही उसे पसंद करता था और उससे शादी करना चाहता था मगर वह उसे टरकाती जा रही थी... 
कयोंकि वह उनके जीजाजी जितना अमीर जो नही था...

आज जब मोहन सुधा से मिलने घर आया तो दीदी की अनुभवी आंँखो से मीना के प्रति उसका प्रेम छिप ना सका और ना ही मीना का रूखापन....
वह तो अभी भी किसी अमीर शहजादे की इंतजार मे थी जो बड़ी सी गाड़ी में उसे ब्याहने आएगा... 
वह अब छब्बीसवे वर्ष की दहलीज पर थी... मां बाप की चिंता भी उसकी उम्र की तरह बढ़ने लगी थी...

मोहन घर में सबको पसंद था...मां ने मीना को मनाने की जिम्मेदारी दीदी को सौंप दी...
 उसके जाते ही दीदी सुधा को अकेले कमरे मे ले आई और समझाते हुए बोली... "सुधा ....जब मोहन इतना प्यार करता है, तो हां क्यो नही कर देती....

"दीदी सिर्फ़ प्यार के सहारे जिंदगी नही कटती...
" कहते हुए वह दीदी की सोने की चूड़ियो और कंगनों की चमक में खो सी गई फिर उनकी तरफ़ इशारा करते हुए अचानक वह पूछ बैठी...
 "क्या वह यह सब दे पाएगा मुझे....

दीदी कांपती आवाज़ में बोली....
"सुधा....जो ऊपर से दिखता है वह होता नही है... कहते-कहते अचानक दीदी ने चूड़ियां और कंगन ऊपर कर दिए.... 
कलाई पर सिगरेट से जले निशान उनकी साफ़ चुगली कर रहे थे....

"उफ़.. उसकी फटी फटी आंँखो से अविश्वास के अश्रु भरभराकर बह चले.....
तुम ....कभी कुछ बताती कयो नही दीदी....
पगली ....मे भी इस दौलत की चंकाचौध मे पागल थी ...मगर भूल गई थी सबसे बडी दौलत प्यार की होती है जो नसीबवालो को मिलता है तुझे मिल रहा है इसे मत खोना मेरी लाडो ...कहकर सुधा से लिपट गई ....
तभी दीदी के पति यानी सुधा के जीजाजी ने वापसी चलने के लिए आवाज लगाई ...दीदी तो वापस जा रही थी मगर सुधा यथार्थ से धरातल पर वापस आ गई थी उसने फैसला कर लिया था वो अब जीवन की सबसे अनमोल दौलत मोहन के प्यार को नही खोएगी ....
अब वो मोहन से शादी को तैयार थी...
एक सुंदर रचना...
#दीप...🙏🙏🙏